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असम में नृजातीय संघर्ष और भारतीय सुरक्षा = Asam mein nrjaateey sangharsh aur Bhaarateey suraksha Sanjay Kumar

By: Material type: TextTextLanguage: Hin. Publication details: New Delhi Mohit Publications 2012Description: 220p. 20 x 14 x 4 cmISBN:
  • 9788174456281
Subject(s): DDC classification:
  • 954.04 KUM
Summary: किसी भी राष्ट्र के विकास में योगदान देने वाले 'मूर्त' एवं 'अमूर्त' बाह्य एवं आन्तरिक, प्रत्यक्ष एवं परोक्ष, सैनिक एवं असैनिक कारकों की सभी नकारात्मक तत्वों से रक्षा करना ही राष्ट्रीय सुरक्षा कहलाती है। यद्यपि सुरक्षा की प्रकृति निरन्तर बदलती रहती है फिर भी इसका परम्परागत आधार भय की राजनीति पर आधारित होता है, जो हमेशा ही शांति एवं सुरक्षा को प्रभावित करता है। सम्पूर्ण विश्व में भारत एक ऐसा विशिष्ट देश है जिसमें विभिन्न धर्मो, जातियों एवम् वर्गों के लोग निवास करते हैं। यहाँ भाषा में विविधता के साथ-साथ भौगोलिक परिस्थितियों एवं रहन-सहन में भी अन्तर है। वर्तमान में विविध संस्कृतियों, धर्मों एवं जातियों की वजह से भारत की आन्तरिक सुरक्षा के साथ-साथ बाह्य सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। नृजातीय संघर्षों के कारण भारत के न केवल असम राज्य की बल्कि सम्पूर्ण पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्र की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है। असम में नृजातीय संघर्ष की शुरूआत विभाजन के समय बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) से अत्यधिक संख्या में आये शरणार्थियों की वजह से हुई। अवैध शरणार्थियों की पहचान कर उन्हें असम से बाहर निकालने के लिए वर्ष 1979 ई० में उल्फा ने बड़े पैमाने पर हिंसक गतिविधियाँ प्रारम्भ कर दी। जिसके तहत बाहरी लोगों की पहचान कर उनकी हत्या, अपहरण, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान करना प्रारम्भ कर दिया। निरन्तर चलने वाले इस नृजातीय एवं आतंकवादी समस्या ने असम तथा भारतीय सुरक्षा को किस प्रकार प्रभावित किया है। प्रस्तुत अध्ययन में निम्न कारकों के प्रकाश में समस्या का विश्लेषण किया गया है। (i) सीमा पार के विरोधी तत्त्वों के साथ नृजातीय समूहों के सम्बन्ध एवं नृजातीय समूहों को पड़ोसी राष्ट्रों द्वारा दिया जाने वाला प्रशिक्षण (ii) पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी आई.एस.आई. से विद्रोहियों का सम्बन्ध (iii) अवैध शस्त्रों एवं मादक पदार्थों की तस्करी का प्रभाव (iv) नृजातीय संघर्ष का आर्थिक एवं सामाजिक संरचना पर प्रभाव। इस प्रकार स्पष्ट है कि असम में अपनी-अपनी नृजार्दीय सांस्कृतिक हितों की रक्षा हेतु संघर्षरत ये अकवादी/नृजातीय संगठन असम के साथथ सम्पूर्ण राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था पर व्यापाव डाल रहे हैं।
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किसी भी राष्ट्र के विकास में योगदान देने वाले 'मूर्त' एवं 'अमूर्त' बाह्य एवं आन्तरिक, प्रत्यक्ष एवं परोक्ष, सैनिक एवं असैनिक कारकों की सभी नकारात्मक तत्वों से रक्षा करना ही राष्ट्रीय सुरक्षा कहलाती है। यद्यपि सुरक्षा की प्रकृति निरन्तर बदलती रहती है फिर भी इसका परम्परागत आधार भय की राजनीति पर आधारित होता है, जो हमेशा ही शांति एवं सुरक्षा को प्रभावित करता है। सम्पूर्ण विश्व में भारत एक ऐसा विशिष्ट देश है जिसमें विभिन्न धर्मो, जातियों एवम् वर्गों के लोग निवास करते हैं। यहाँ भाषा में विविधता के साथ-साथ भौगोलिक परिस्थितियों एवं रहन-सहन में भी अन्तर है। वर्तमान में विविध संस्कृतियों, धर्मों एवं जातियों की वजह से भारत की आन्तरिक सुरक्षा के साथ-साथ बाह्य सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। नृजातीय संघर्षों के कारण भारत के न केवल असम राज्य की बल्कि सम्पूर्ण पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ-साथ राष्ट्र की सुरक्षा भी प्रभावित हो रही है। असम में नृजातीय संघर्ष की शुरूआत विभाजन के समय बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) से अत्यधिक संख्या में आये शरणार्थियों की वजह से हुई। अवैध शरणार्थियों की पहचान कर उन्हें असम से बाहर निकालने के लिए वर्ष 1979 ई० में उल्फा ने बड़े पैमाने पर हिंसक गतिविधियाँ प्रारम्भ कर दी। जिसके तहत बाहरी लोगों की पहचान कर उनकी हत्या, अपहरण, सरकारी सम्पत्ति को नुकसान करना प्रारम्भ कर दिया। निरन्तर चलने वाले इस नृजातीय एवं आतंकवादी समस्या ने असम तथा भारतीय सुरक्षा को किस प्रकार प्रभावित किया है। प्रस्तुत अध्ययन में निम्न कारकों के प्रकाश में समस्या का विश्लेषण किया गया है। (i) सीमा पार के विरोधी तत्त्वों के साथ नृजातीय समूहों के सम्बन्ध एवं नृजातीय समूहों को पड़ोसी राष्ट्रों द्वारा दिया जाने वाला प्रशिक्षण (ii) पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी आई.एस.आई. से विद्रोहियों का सम्बन्ध (iii) अवैध शस्त्रों एवं मादक पदार्थों की तस्करी का प्रभाव (iv) नृजातीय संघर्ष का आर्थिक एवं सामाजिक संरचना पर प्रभाव।

इस प्रकार स्पष्ट है कि असम में अपनी-अपनी नृजार्दीय सांस्कृतिक हितों की रक्षा हेतु संघर्षरत ये अकवादी/नृजातीय संगठन असम के साथथ सम्पूर्ण राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था पर व्यापाव डाल रहे हैं।

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