Local cover image
Local cover image
Amazon cover image
Image from Amazon.com
Image from Google Jackets
See Baker & Taylor
Image from Baker & Taylor

जिहाद = Jihad हुसेन जमादार = Husen Jmadar

By: Contributor(s): Material type: TextTextLanguage: Hin. Publication details: Shanti Prakashan 2009 HaryanaDescription: 231pISBN:
  • 9788188652747
DDC classification:
  • 320.5570958 JAM
Summary: पुस्तक के बारे में जिहाद' यानी सिर्फ धर्मयुद्ध नहीं है। आजकल जिहाद का अर्थ संकुचित हो गया है और वह केवल धर्मयुद्ध तक सीमित हो गया है। लेकिन वास्तव में किसी भी ध्येय की सिद्धि के लिए अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ प्राणप्रण से कोशिश करना ही जिहाद है। जो शख्स अपने ध्येय की लग्न में नित्य मस्त रहता है, अपनी 'मनसा', 'वाचा', 'कर्मणा' से ध्येयसिद्धि के लिए सतत् प्रयत्नशील रहता है और उसके लिए हर वक्त समर्पण के लिए तत्पर रहता है वह एक प्रकार से जिहाद ही करता है। हुसेन जमादार एक ऐसे ही 'जिहाद' करने वाले शख्स हैं जिन्होंने मुस्लिम समाज की प्रगति के लिए जिहाद किया है। अतः उनकी यह 'जिहाद' पुस्तक व्यक्तिगाथा नहीं बल्कि मुस्लिम समाज-मन की कथा है। इसमें व्यक्ति और समाज की क्रिया-प्रतिक्रिया अंकित है। इसमें कभी व्यक्ति हारता है तो कभी समाज; पर है एक जीवंत दस्तावेज ! इसमें कहीं भी कृत्रिमता नहीं है, सहज-स्वभाविक प्रवाहित जीवनधारा है यह! इसमें संपूर्ण मुस्लिम समाज अपनी समस्त विशिष्टताओं से उभरा
Tags from this library: No tags from this library for this title. Log in to add tags.
Star ratings
    Average rating: 0.0 (0 votes)
Holdings
Item type Current library Call number Materials specified Status Date due Barcode
Books Books Rashtriya Raksha University 320.5570958 JAM (Browse shelf(Opens below)) Available 116

पुस्तक के बारे में


जिहाद' यानी सिर्फ धर्मयुद्ध नहीं है। आजकल जिहाद का अर्थ संकुचित हो गया है और वह केवल धर्मयुद्ध तक सीमित हो गया है। लेकिन वास्तव में किसी भी ध्येय की सिद्धि के लिए अपनी संपूर्ण शक्ति के साथ प्राणप्रण से कोशिश करना ही जिहाद है। जो शख्स अपने ध्येय की लग्न में नित्य मस्त रहता है, अपनी 'मनसा', 'वाचा', 'कर्मणा' से ध्येयसिद्धि के लिए सतत् प्रयत्नशील रहता है और उसके लिए हर वक्त समर्पण के लिए तत्पर रहता है वह एक प्रकार से जिहाद ही करता है।



हुसेन जमादार एक ऐसे ही 'जिहाद' करने वाले शख्स हैं जिन्होंने मुस्लिम समाज की प्रगति के लिए जिहाद किया है। अतः उनकी यह 'जिहाद' पुस्तक व्यक्तिगाथा नहीं बल्कि मुस्लिम समाज-मन की कथा है। इसमें व्यक्ति और समाज की क्रिया-प्रतिक्रिया अंकित है। इसमें कभी व्यक्ति हारता है तो कभी समाज; पर है एक जीवंत दस्तावेज ! इसमें कहीं भी कृत्रिमता नहीं है, सहज-स्वभाविक प्रवाहित जीवनधारा है यह! इसमें संपूर्ण मुस्लिम समाज अपनी समस्त विशिष्टताओं से उभरा

There are no comments on this title.

to post a comment.

Click on an image to view it in the image viewer

Local cover image
© 2024 Rashtriya Raksha University, All Rights Reserved.