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सरकारी कार्यालयों में हिंदी का प्रयोग = Sarkari Karyalayo mein Hindi ka Prayog गोपीनाथ श्रीवास्तव = Gopinath Srivastav

By: Material type: TextTextLanguage: Hin. Publication details: LokBharati Prakasan 2019 PrayagrajDescription: 250p. 20.3 x 25.4 x 4.7 cmISBN:
  • 9788180310744
DDC classification:
  • 491.43824 SRI
Summary: यह पुस्तक तीन भागों में विभाजित है- पहले भाग में सैद्धान्तिक रूप से टिप्पण, प्रालेखन, संक्षिप्त लेखन, मुद्रण-फलक- शोधन विषयों पर सविस्तार विचार प्रकट किये गये हैं। दूसरे भाग में, नमूनों द्वारा शुद्ध टिप्पणी, प्रालेख लिखने की विधि को बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि बहुधा अशुद्धियाँ किन-किन स्थलों पर होती हैं और क्यों होती हैं। प्रत्येक अवसर पर प्रयुक्त होने वाले पत्रों के प्रतिमित प्रपत्र भी पुस्तक में दे दिये गये हैं। इनके प्रयोग से कर्मचारियों का बहुत कुछ नैत्यक प्रकार का कार्य सुगमता से सम्पन्न हो सकेगा। तीसरे भाग में, सरकारी कार्य में व्यवहृत विदेशी भाषाओं के वाक्यांश और उनके हिन्दी पर्याय दिये गये हैं। दूसरे परिशिष्ट में दोषयुक्त और शुद्ध टिप्पणी के नमूने, विभिन्न प्रकार के प्रालेखों के नमूने, संक्षिप्त लेखन के नमूने, मुद्रण-शोधन के नमूने, कतिपय प्रतिमित प्रालेख, प्रपत्र और सन्देश आदि दिये गये हैं। तीसरे भाग में सरकारी कार्य में व्यवहृत विदेशी भाषाओं के वाक्यांश और उनके हिन्दी पर्याय दिये गये हैं। आशा है कि यह पुस्तक उपयोगी और राजकीय कार्यों में हिन्दी की प्रगति बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।
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Books Books Rashtriya Raksha University 491.43824 SRI (Browse shelf(Opens below)) Available 12495

यह पुस्तक तीन भागों में विभाजित है- पहले भाग में सैद्धान्तिक रूप से टिप्पण, प्रालेखन, संक्षिप्त लेखन, मुद्रण-फलक- शोधन विषयों पर सविस्तार विचार प्रकट किये गये हैं। दूसरे भाग में, नमूनों द्वारा शुद्ध टिप्पणी, प्रालेख लिखने की विधि को बताया गया है। साथ में यह भी बताया गया है कि बहुधा अशुद्धियाँ किन-किन स्थलों पर होती हैं और क्यों होती हैं। प्रत्येक अवसर पर प्रयुक्त होने वाले पत्रों के प्रतिमित प्रपत्र भी पुस्तक में दे दिये गये हैं। इनके प्रयोग से कर्मचारियों का बहुत कुछ नैत्यक प्रकार का कार्य सुगमता से सम्पन्न हो सकेगा। तीसरे भाग में, सरकारी कार्य में व्यवहृत विदेशी भाषाओं के वाक्यांश और उनके हिन्दी पर्याय दिये गये हैं।

दूसरे परिशिष्ट में दोषयुक्त और शुद्ध टिप्पणी के नमूने, विभिन्न प्रकार के प्रालेखों के नमूने, संक्षिप्त लेखन के नमूने, मुद्रण-शोधन के नमूने, कतिपय प्रतिमित प्रालेख, प्रपत्र और सन्देश आदि दिये गये हैं। तीसरे भाग में सरकारी कार्य में व्यवहृत विदेशी भाषाओं के वाक्यांश और उनके हिन्दी पर्याय दिये गये हैं। आशा है कि यह पुस्तक उपयोगी और राजकीय कार्यों में हिन्दी की प्रगति बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।

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