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Rabindranath Tagore : Chitro aur Shabbdo mein jeevan katha = रवींद्रनाथ टैगोर : चित्रो और शब्दों में जीवन कथा Nityapriya Ghosh = नित्यप्रिया घोष

By: Contributor(s): Material type: TextTextPublication details: Niyogi Books 2019ISBN:
  • 9789389136241
DDC classification:
  • 891.4 GHO
Summary: रवींद्रनाथ टैगोर...यह नाम हमारे हृदय के बहुत क़रीब है, जिसे देखते और सुनते ही मन में सम्मान, विस्मय और प्रेरणा के भाव पैदा होने लगते हैं। साथ ही, इस बहुमुखी प्रतिभा के बारे में और ज़्यादा जानने की उत्सुकता बढ़ने लगती है। उनके जीवनीकारों ने टैगोर के कार्यों का विश्लेषण उनके जीवनकाल में किया है या फिर उनके कालक्रम के संबंध में किया है। यह पुस्तक तत्कालीन संदर्भों में उनके योगदान की कालक्रम के अनुसार प्रस्तुति करते हुए उन महत्वपूर्ण घटनाओं, चर्चाओं और उपेक्षित मुद्दों को भी प्रकाश में लाती है, जिनसे टैगोर को बेहतर तरीक़े से समझ पाने में मदद मिलती है। एक पुत्र, भाई, पति और पिता के रूप में उनकी भूमिका सराहनीय रही। कवि, लेखक, दार्शनिक, चित्रकार, नृत्य-संयोजक और अभिनेता के रूप में उनकी उपलब्धियाँ चरमोत्कर्ष पर रहीं। परिवार, मित्रों, समकालीन लेखकों, कवियों तथा अपने पूर्ववर्तियों से उनके संबंध भी ठीकठाक रहे। देश-विदेश के समकालीन नेताओं से उनका पत्र-व्यवहार और जीवन के बारे में उनकी सोच एवं अभिव्यक्तियाँ सटीक रहीं। इस तरह प्रेम, विश्वास, समर्पण, उनके अधूरे सपनों और अपेक्षाओं आदि को बहुत रोचक तरीक़े से प्रस्तुत करते हुए यह पुस्तक कवि के दोनों पक्षों—असाधारण योग्यता-संपन्न व्यक्ति और सामान्य इच्छाओं वाला व्यक्ति—को सामने लाती है, जो इस गुण के कारण अपनी लाभ-हानि की परवाह किए बिना सामान्य लोगों के सुखों और दुखों को समझ सकता था। यही वह कारण है कि टैगोर जाति, सिद्धांत या पंथ की सीमाओं के पार, आज भी हम सबको प्रिय हैं। Rabindranath Tagore, a name very close to our hearts, evokes a feeling of pride, awe and inspiration and continues to arouse our curiosity to know more about this multi-faceted personality. Biographers have either tried to analyse his works in the light of his life or in the perspective of his contemporary time. This book chronicles the poet’s contributions in the context of the period to which he belonged, bringing into light those incidents, anecdotes and issues which have often been overlooked but which nonetheless are significant as they enable us to understand Tagore better. His role as a son, brother, husband, father; his accomplishments as a poet, philosopher, writer, painter, choreographer, actor; his relations with his family, friends, contemporary writers and poets, as well as predecessors; his correspondence with the political leaders of his time within the nation as well as abroad; and above all, his interpretations about life, revealing his quest for love, faith and devotion and his deep-rooted anguish, his unfulfilled dreams and expectations as projected in the broad sweep of this lucid narration reveal two facets of the poet—a man of extraordinary abilities yet a man having ordinary expectations, who could thereby understand the joys and sorrows of the common man keeping aside his own gains and losses. And it is for this reason that Tagore remains dear to all people cutting across boundaries, generations, caste, creed or sect.
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Books Books Rashtriya Raksha University 891.4 GHO (Browse shelf(Opens below)) Available 12497

रवींद्रनाथ टैगोर...यह नाम हमारे हृदय के बहुत क़रीब है, जिसे देखते और सुनते ही मन में सम्मान, विस्मय और प्रेरणा के भाव पैदा होने लगते हैं। साथ ही, इस बहुमुखी प्रतिभा के बारे में और ज़्यादा जानने की उत्सुकता बढ़ने लगती है। उनके जीवनीकारों ने टैगोर के कार्यों का विश्लेषण उनके जीवनकाल में किया है या फिर उनके कालक्रम के संबंध में किया है। यह पुस्तक तत्कालीन संदर्भों में उनके योगदान की कालक्रम के अनुसार प्रस्तुति करते हुए उन महत्वपूर्ण घटनाओं, चर्चाओं और उपेक्षित मुद्दों को भी प्रकाश में लाती है, जिनसे टैगोर को बेहतर तरीक़े से समझ पाने में मदद मिलती है। एक पुत्र, भाई, पति और पिता के रूप में उनकी भूमिका सराहनीय रही। कवि, लेखक, दार्शनिक, चित्रकार, नृत्य-संयोजक और अभिनेता के रूप में उनकी उपलब्धियाँ चरमोत्कर्ष पर रहीं। परिवार, मित्रों, समकालीन लेखकों, कवियों तथा अपने पूर्ववर्तियों से उनके संबंध भी ठीकठाक रहे। देश-विदेश के समकालीन नेताओं से उनका पत्र-व्यवहार और जीवन के बारे में उनकी सोच एवं अभिव्यक्तियाँ सटीक रहीं। इस तरह प्रेम, विश्वास, समर्पण, उनके अधूरे सपनों और अपेक्षाओं आदि को बहुत रोचक तरीक़े से प्रस्तुत करते हुए यह पुस्तक कवि के दोनों पक्षों—असाधारण योग्यता-संपन्न व्यक्ति और सामान्य इच्छाओं वाला व्यक्ति—को सामने लाती है, जो इस गुण के कारण अपनी लाभ-हानि की परवाह किए बिना सामान्य लोगों के सुखों और दुखों को समझ सकता था। यही वह कारण है कि टैगोर जाति, सिद्धांत या पंथ की सीमाओं के पार, आज भी हम सबको प्रिय हैं। Rabindranath Tagore, a name very close to our hearts, evokes a feeling of pride, awe and inspiration and continues to arouse our curiosity to know more about this multi-faceted personality. Biographers have either tried to analyse his works in the light of his life or in the perspective of his contemporary time. This book chronicles the poet’s contributions in the context of the period to which he belonged, bringing into light those incidents, anecdotes and issues which have often been overlooked but which nonetheless are significant as they enable us to understand Tagore better. His role as a son, brother, husband, father; his accomplishments as a poet, philosopher, writer, painter, choreographer, actor; his relations with his family, friends, contemporary writers and poets, as well as predecessors; his correspondence with the political leaders of his time within the nation as well as abroad; and above all, his interpretations about life, revealing his quest for love, faith and devotion and his deep-rooted anguish, his unfulfilled dreams and expectations as projected in the broad sweep of this lucid narration reveal two facets of the poet—a man of extraordinary abilities yet a man having ordinary expectations, who could thereby understand the joys and sorrows of the common man keeping aside his own gains and losses. And it is for this reason that Tagore remains dear to all people cutting across boundaries, generations, caste, creed or sect.

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