शरीरिक शोषण और कानून = Sharirik Shoshan Aur Kanun मधुसूदन त्रिपाठी = Madhusudan Tripathi
Material type: TextLanguage: Eng. Publication details: New Delhi Khushi Publication 2011Description: 192pISBN:- 978938113002
- 344.73014133 TRI
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Books | Rashtriya Raksha University | 344.73014133 TRI (Browse shelf(Opens below)) | Available | 2798 |
शारीरिक शोषण आज ईश्वर की तरह सर्वव्यापी हो गया है अर्थात जीवन के हर क्षेत्र में आज महिलाओं को विभिन्न प्रकार के शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ता है। स्कूल-कॉलेजों और कार्यस्थल के साथ-साथ महिलाओं को घर पर भी शारीरिक शोषण का शिकार होना पड़ता है। महिलाओं की अस्मत पर खतरा उनके घर पर भी होता है और कार्यस्थल पर भी महिलाओं की अस्मत अधिकारी और राजनीति भी उठाते हैं तो शिक्षक और प्रोफेसर भी उनकी इज्जत से खेलते हैं। और तो और घर पर भी निकट रिश्तेदार तक महिलाओं की अस्मत से खेलते हैं, उनका शारीरिक शोषण करते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक 'शारीरिक शोषण और कानून' में शारीरिक शोषण के शर्मनाक कुकृत्य के सभी पक्षों की मीमांसा, गंभीरता और गहराई के साथ की गयी है, ताकि इसे पूरी सम्यकता के साथ समझा जा सके। विषय की विस्तृत चर्चा के लिए पुस्तक को कुल 9 अध्यायों में विभाजित किया गया है। पुस्तक में शारीरिक शोषण की एक अपराध के रूप में तो चर्चा की गयी है, साथ ही इसमें कुछ ऐसे मालिक सुझाव भी दिये गए हैं। जिनसे शारीरिक शोषण की घटनाओं को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पुस्तक में उन कानूनों और नियम-कायदों का भी जिक्र किया गया है, जो शारीरिक शोषण की लगातार बढ़ती घटनाओं को नियंत्रित करने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।
पुस्तक में बेहद सरल और आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है ताकि इसे सभी वर्ग के पाठक आसानी से समझ सकें। पुस्तक, समाजशास्त्र व अपराध शास्त्र के विद्यार्थियों के साथ-साथ पुलिस व कानून से संबंधित लोगों के लिए भी उपयोगी रहेगी। इनके अतिरिक्त पुस्तक, महिला कल्याण के क्षेत्र में कार्य कर रहे गैर-सरकारी स्वैच्छिक संगठनों के लिए भी उपयोगी रहेगी, ऐसा विश्वास है।
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