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सामाजिक न्याय, मानवाधिकार और पुलिस = Saamaajik Nyaay, Maanavaadhikaar aur Police महेन्द्र कुमार मिश्रा = Mahendra Kumar Mishra

By: Material type: TextTextLanguage: Hin. Publication details: Delhi Educational Publishers & Distributors 2011Description: 285p. 20 x 14 x 4 cmISBN:
  • 9789380873176
Subject(s): DDC classification:
  • 362.230968 MIS
Summary: समाज में व्याप्त बुराइयों तथा अपराधी से पुलिस को सूझना पड़ता है। समाज में कानून और व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी पुलिस पर ही है। कानून व्यवस्था के प्रत्येक पहलू के लिए जिम्मेदार होने के कारण ही पुलिस को सामान्यतया नियंत्रणकारी प्रशासन का ही एक अंग मानते हैं। पुलिस की भूमिका और उसके कार्यों के इस दृष्टिकोण ने भारतीय प्रशासन की इस अतिमहत्त्वपूर्ण शाखा की अलग ही तस्वीर बना दी है। ऐसी परिस्थितियों में भारतीय पुलिस को नया स्वरूप देना होगा। पुलिस की नई भूमिका के अनुरूप अब एक नया संगठन खड़ा करना होगा। पुलिस संगठन की शक्तियों और सीमाओं का प्रभावी और संतुलित तरीके से निर्धारण कर देने से विकास के रास्ते में रोड़ा बनने वाली और विध्वंशकारी ताकतों से पुलिस स्वयं अपने स्तर पर ही निपट लेगी। 1. कानून और पुलिस 2.मानवाधिकार संरक्षण और पुलिस की भूमिका 3. भारतीय पुलिसः विकास एवं व्यवस्था 4. पुलिसः मानवाधिकार हनन: कारण और निवारण 5. पुलिस एवं जन सहभागिता के संदर्भ 6. मानवाधिकार संरक्षण कानून एवं यथार्थ 7. मानवाधिकारों का अन्तर्राष्ट्रीयकरण 8. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग 9. राज्य मानवाधिकार आयोग 10. मानवाधिकार न्यायालय 11. पुलिस और जनाकांक्षाएँ 12. जनहितार्थं कानून 13. जन सुरक्षा अधिनियम 14. सूचना का अधिकार-2005 15. मनमानी गिरफ्तारी के विरुद्ध अधिकार
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Books Books Rashtriya Raksha University 362.230968 MIS (Browse shelf(Opens below)) Available 2674

समाज में व्याप्त बुराइयों तथा अपराधी से पुलिस को सूझना पड़ता है। समाज में कानून और व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी पुलिस पर ही है। कानून व्यवस्था के प्रत्येक पहलू के लिए जिम्मेदार होने के कारण ही पुलिस को सामान्यतया नियंत्रणकारी प्रशासन का ही एक अंग मानते हैं। पुलिस की भूमिका और उसके कार्यों के इस दृष्टिकोण ने भारतीय प्रशासन की इस अतिमहत्त्वपूर्ण शाखा की अलग ही तस्वीर बना दी है। ऐसी परिस्थितियों में भारतीय पुलिस को नया स्वरूप देना होगा। पुलिस की नई भूमिका के अनुरूप अब एक नया संगठन खड़ा करना होगा। पुलिस संगठन की शक्तियों और सीमाओं का प्रभावी और संतुलित तरीके से निर्धारण कर देने से विकास के रास्ते में रोड़ा बनने वाली और विध्वंशकारी ताकतों से पुलिस स्वयं अपने स्तर पर ही निपट लेगी।

1. कानून और पुलिस

2.मानवाधिकार संरक्षण और पुलिस की भूमिका

3. भारतीय पुलिसः विकास एवं व्यवस्था

4. पुलिसः मानवाधिकार हनन: कारण और निवारण

5. पुलिस एवं जन सहभागिता के संदर्भ

6. मानवाधिकार संरक्षण कानून एवं यथार्थ

7. मानवाधिकारों का अन्तर्राष्ट्रीयकरण

8. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

9. राज्य मानवाधिकार आयोग

10. मानवाधिकार न्यायालय

11. पुलिस और जनाकांक्षाएँ

12. जनहितार्थं कानून

13. जन सुरक्षा अधिनियम

14. सूचना का अधिकार-2005

15. मनमानी गिरफ्तारी के विरुद्ध अधिकार

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